एआई कैसे बदल रहा है हमें!

 

“Indian professional using AI-powered tools like ChatGPT and Gemini in a futuristic digital workspace.”

एआई टूल्स का उभार: कृत्रिम बुद्धिमत्ता कैसे बदल रही है हमारी रोज़मर्रा की दुनिया


अगर 2023 कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को लेकर जिज्ञासा का वर्ष था, तो 2025 उसका प्रयोग का दौर है।
आज AI केवल टेक्नोलॉजी का शब्द नहीं रहा, बल्कि एक ऐसी शक्ति बन गया है जो हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी, कामकाज और सोचने के तरीके को धीरे-धीरे बदल रही है।


भारत में एआई का रोज़मर्रा में उपयोग


भारत हमेशा से नई तकनीक अपनाने में आगे रहा है।
जैसे UPI ने भुगतान व्यवस्था को बदला था, वैसे ही अब AI हमारे कामकाज को बदल रहा है।
NASSCOM की रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत की 65% कंपनियाँ किसी न किसी रूप में AI का इस्तेमाल कर रही हैं — चाहे वह कंटेंट लिखना हो, ग्राहक सेवा, मार्केटिंग या लॉजिस्टिक्स।


ChatGPT, Google Gemini, Notion AI, Canva Magic Studio, Microsoft Copilot जैसे टूल्स अब हर स्तर पर आम हो चुके हैं।
छोटे व्यापारी भी अब AI की मदद से विज्ञापन डिज़ाइन, सोशल मीडिया पोस्ट, या उत्पाद विवरण खुद ही बना लेते हैं।





शिक्षा में एआई की नई भूमिका


अब क्लासरूम “स्मार्ट रूम” बन रहे हैं।
छात्र AI से निबंध, कोडिंग और शोध सारांश तैयार करते हैं, जबकि शिक्षक इसका उपयोग पर्सनलाइज़्ड कंटेंट और प्लैगियरिज़्म डिटेक्शन के लिए करते हैं।


Khanmigo, ScribeSense, LearnLM जैसे प्लेटफॉर्म शिक्षा को “हर विद्यार्थी के अनुरूप” बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
हालाँकि चिंता यह भी है — क्या AI छात्रों की रचनात्मकता को बढ़ा रहा है या उन्हें निर्भर बना रहा है?


मीडिया और रचनात्मकता में एआई


AI ने सबसे बड़ा असर मीडिया और रचनात्मक उद्योगों पर डाला है।
आज यूट्यूब क्रिएटर्स स्क्रिप्ट, वॉइसओवर, सबटाइटल, थंबनेल सब कुछ AI से तैयार करते हैं।
पत्रकार AI से तथ्य जांच और संपादन में मदद लेते हैं।
यहाँ तक कि फिल्ममेकर AI आधारित स्टोरीबोर्डिंग का प्रयोग कर रहे हैं।

लेकिन सवाल यह भी है — जब मशीन कला बनाएगी, तो कलाकार कौन होगा?
मौलिकता और स्वामित्व के सवाल अब टेक्नोलॉजी का हिस्सा बन चुके हैं।




ऑफिस और कार्यस्थल में बदलाव


कार्यालयों में AI अब नया “सहकर्मी” बन गया है।
यह रिपोर्ट लिखता है, ईमेल ड्राफ्ट करता है, बैठकें तय करता है, और डेटा विश्लेषण भी करता है।
AI चैटबॉट्स अब 24/7 ग्राहक सेवा संभालते हैं।


हालाँकि विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि उत्पादकता के नाम पर नौकरियाँ खत्म नहीं होनी चाहिए।
PwC India की रिपोर्ट कहती है कि जहाँ कुछ नौकरियाँ खत्म होंगी, वहीं AI आधारित नए पेशे भी जन्म लेंगे।


नैतिकता की चुनौती


AI के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ गोपनीयता, पूर्वाग्रह और फेक न्यूज़ जैसी चुनौतियाँ भी बढ़ रही हैं।
सरकार का प्रस्तावित Digital India Act इन मुद्दों को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


भारत की भूमिका


युवा जनसंख्या, डेटा की विशालता और नवाचार की क्षमता के चलते भारत अब वैश्विक AI केंद्र बनने की ओर है।
IndiaAI Mission और AI for Bharat जैसी योजनाएँ इस बदलाव की दिशा तय कर रही हैं।


निष्कर्ष:

AI अब भविष्य की बात नहीं, वर्तमान की सच्चाई है।
यह हमारी रचनात्मकता, उत्पादन क्षमता और मानवीय सोच को फिर से परिभाषित कर रहा है।
प्रश्न यह नहीं कि AI दुनिया बदलेगा या नहीं — बल्कि यह है कि क्या हम उसके साथ बदलने के लिए तैयार हैं?



Posted by Ashfaq Ahmad


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