डोपामाईन इफेक्ट
बीते कुछ वर्षों में स्मार्टफ़ोन एक नया एडिक्शन बनकर उभरा है। एक सर्वे के अनुसार हममें से अधिकांश लोग दिन में औसतन 4-5 घंटे फ़ोन में सोशल मीडिया समेत तमाम एप्स को स्क्रोल करते हुए बिताते हैं। छुट्टी के दिनों में तो हम अपने दैनिक कार्यों को छोड़कर पूरा दिन फ़ोन स्क्रोल करते या टीवी देखते बिता सकते हैं और फिर भी हम बोरियत महसूस नहीं करते।
जबकि अन्य कार्य जैसे पढ़ाई करना, ऑफिस वर्क, घरेलू कार्य, व्यायाम इत्यादि हमें एक टास्क जैसे लगते हैं जिन्हें करने में हमें कोई मजा नहीं आता और जिन्हें करते हुए हमें बड़ा जोर पड़ता है। जबकि हम अच्छी तरह जानते हैं कि पड़े पड़े स्मार्टफ़ोन स्क्रोल करने, टीवी देखने या विडियो गेम खेलने के बजाये इन उत्पादक कार्यों को करना ज्यादा फायदेमंद है। आखिर क्यों एक एक्टिविटी हमें अपीलिंग और दूसरी हमें बोर लगती है?
इसका एक सरल जवाब ये हो सकता है कि फ़ोन स्क्रोल करने, टीवी देखने और विडियो गेम खेलने की अपेक्षा बाकी काम ज्यादा अटेंशन और दिमागी शारीरिक श्रम चाहते हैं। पर वहीँ हम देखते हैं कि कुछ लोग अपने दैनिक जीवन में उत्पादक कार्यों को करते हुए एक बेहतर जीवन बिताते हैं। आखिर इन लोगों को नियमित रूप से इन कार्यों को करते रहने की प्रेरणा कहाँ से मिलती है?
इसका जवाब हमारे दिमाग के एक केमिकल में छुपा हुआ है जिसे हम डोपमीन के नाम से जानते हैं। डोपमीन हमें ख़ुशी और संतुष्टि का अहसास देता है। ये एक तरह का रिवॉर्ड मेकेनिज्म है जो हमें विभिन्न कार्यों को करने की प्रेरणा देता है। जिस काम को करने से डोपमीन ज्यादा रिलीज होता है हम उसे बार-बार करना चाहते हैं। जैसे कोई पसंदीदा भोजन, कोई पसंदीदा खेल, नशा या सेक्स।
ये केमिकल कितना शक्तिशाली है इसका पता वैज्ञानिकों को एक प्रयोग के दौरान चला जिसमें उन्होंने चूहों के मस्तिष्क में कुछ इलेक्ट्रोड्स को जोड़ा जो सक्रीय किये जाने पर मस्तिष्क में डोपमीन को रिलीज करते थे। चूहों के पिंजरे में एक लीवर लगा हुआ था।
जब भी कोई चूहा उस लीवर को दबाता था उससे इलेक्ट्रोड्स सक्रीय हो जाते थे। लिहाजा डोपमीन रिलीज होता था और चूहे को ख़ुशी और संतुष्टि का अहसास होता था। प्रयोग के दौरान चूहे उस लीवर को दबाने के इतने एडिक्ट हो गए कि उन्हें खाने पीने और सोने का होश भी नहीं रहा। वे तब तक लगातार लीवर दबाते रहे जब तक वे थककर ढेर नहीं हो गए।
बाद में इसी प्रयोग को दूसरे तरीके से दोहराया गया। इस बार वैज्ञानिकों ने दिमाग के डोपमीन रिलीज सेंटर को ही ब्लाक कर दिया। इसके बाद चूहे इतने सुस्त और उदासीन गए जैसे दुनियादारी से उनका मोह ही भंग हो गया हो। उनको खाने पीने यहाँ तक की सेक्स में भी कोई रूचि नहीं रह गयी। हालाँकि ऐसा नहीं था कि यदि उन्हें भोजन दिया जाता तो वे खाते नहीं। लेकिन भोजन को खुद से प्राप्त करने में उनकी रूचि ख़त्म हो गयी थी।
डोपमीन का ऐसा ही प्रभाव मानव मस्तिष्क पर भी देखने को मिलता है। हमारे जीवन की गतिविधियों की प्राथमिकता को निर्धारित करने में मस्तिष्क में रिलीज होने वाले इस केमिकल का महत्वपूर्ण रोल है। हमारा मस्तिष्क हमें उन कार्यों को करने के लिए ज्यादा प्रेरित करता है जिनमें डोपमीन ज्यादा रिलीज होता है। तो आखिर वे कौन से काम हैं जिनमें डोपमीन ज्यादा रिलीज होता है?
जवाब है वे काम जिनमें आपको तुरंत या अचानक ही कुछ ईनाम मिलने की आशा हो। और जिनके बारे में आप जानते हों कि उसमें आपको निश्चित ही मजा आएगा। जैसे हस्तमैथुन या कोई नशा। हालाँकि जीवन की बाकी चीजें जैसे सैलरी या इन्सेन्टिव मिलना यहाँ तक की पानी पीने के दौरान भी डोपमीन रिलीज होता है...
लेकिन उतनी मात्रा में नहीं जितना कि बाकी गतिविधियों में जिन्हें आप करना पसंद करते हैं जैसे सोशल मीडिया पर घंटों स्क्रोल करते रहना, टीवी देखना, विडियो गेम खेलना या पोर्न देखना। क्योंकि यहाँ रिवॉर्ड निश्चित और तुरंत है। लोगों को पता होता है कि तम्बाकू पदार्थों के सेवन से कैंसर होता है लेकिन फिर भी वे अपनी आदत बदल नहीं पाते। क्योंकि दंड दूर है और रिवॉर्ड तुरंत है।
इन्टरनेट और सोशल मीडिया ने दुनिया भर की जानकारी को आपकी उँगलियों पर पहुंचा दिया है। आप स्क्रोल करते रहिये और वह आपको आनंदित करने के लिए आपके सामने कुछ न कुछ नया प्रस्तुत करता रहेगा। जानकारियों की ऐसी ओवरडोज़ के हम आदी नहीं थे। जानकारी और मनोरंजन की ऐसी सुविधा तो पुराने राजा महाराजों को भी उपलब्ध नहीं थी जिनके दरबार में बेहतरीन कलाकार और नवरत्न हुआ करते थे।
यही कारण है कि आप बार बार अपने फोन के नोटिफिकेशन को चेक करते रहते हैं क्योंकि आपका मस्तिष्क जानता है कि वहां कुछ न कुछ ऐसा मिलने की संभावना है जिससे उसे ज्यादा डोपमीन की किक मिलेगी। आप सोच सकते हैं कि इसमें क्या समस्या है अगर मैं अपना खाली समय इन्टरनेट और सोशल मीडिया पर बिताकर अपने मस्तिष्क को हाई डोपमीन की डोज़ दे देता हूँ?
यहाँ पर समस्या असल में हमारे शरीर का एक गुण है जिसमें वह परिस्थियों से सामंजस्य बिठाने की कोशिश करता है ताकि संतुलन बरक़रार रहे। जैसे जब आप रौशनी से अँधेरे में आते हैं तो आँखों की पुतली फ़ैल जाती है ताकि कम रौशनी में भी आप ठीक से देख सकें। ठीक इसी तरह जब लगातार ज्यादा डोपमीन रिलीज होता है तो मस्तिष्क में उसके प्रति टोलरेंस डवलप हो जाती है।
और तब उतने ही आनंद और संतुष्टि के लिए और भी ज्यादा डोपमीन की मात्रा की जरुरत पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में वे काम जिनमें डोपमीन कम रिलीज होता है उनमें आपकी रूचि ख़त्म या बेहद कम हो जाती है। यही कारण है कि ड्रग एडिक्ट्स ड्रग छोड़ने के बाद काफी उदास और चिड़चिड़े हो जाते हैं और उन्हें सामान्य जीवन तक आने में काफी समय लगता है।
इन्टरनेट और सोशल मीडिया का एडिक्शन भी बिल्कुल ऐसा है। लोग जानते हैं वे अपना काफी उत्पादक समय इस पर नष्ट कर रहे हैं। वे कई बार इससे दूरी भी बनाते हैं लेकिन जल्द ही पुनः लौट आते हैं। तो क्या हाई डोपमीन की इस लत से निजात पाने का कोई इलाज है?
हालाँकि इतना सब कुछ पढ़ने के बाद इलाज क्या हो सकता है ये अंदाजा तो आपको लग ही गया होगा। करना सिर्फ इतना है कि वे काम जो हाई डोपमीन रिलीज करते हैं उनसे नियमित अंतराल पर कुछ समय के लिए दूरी बना लेनी है। जैसे आप हफ्ते में कुछ दिन या कम से कम एक दिन निर्धारित कर सकते हैं जब आप हाई डोपमीन रिलीज वाले किसी काम को नहीं करें।
जैसे फ़ोन और टीवी से दूरी बना लें, कोई नशा न करें, जंक फ़ूड न खाएं, पोर्न न देखें, सेक्स या हस्तमैथुन न करें। बजाय इसके वे काम करें जिन्हें करना आपको ज्यादा पसंद नहीं है। जैसे मोर्निंग वाक, योगा, व्यायाम, सादा भोजन, घर की साफ़ सफाई, डायरी लिखना इत्यादि। इससे आपके मस्तिष्क को रिकवर होने का समय मिलेगा और डोपमीन टोलरेंस में कमी आयेगी।
एक तरीका ये भी है कि हाई डोपमीन वाले कामों को खुद को रिवॉर्ड देने के लिए इस्तेमाल करें। जैसे खुद को कोई कठिन प्रोडक्टिव टास्क दें और उसे पूरा करने पर कुछ समय के लिए खुद को हाई डोपमीन वाले काम से रिवॉर्ड करें। याद रखें रिवॉर्ड हमेशा अंत में। ये नहीं कि पहले मैं मूड फ्रेश करूँगा तब अमुक काम हाथ में लूँगा।
क्योंकि हाई डोपमीन की डोज़ के बाद कठिन काम पहाड़ जैसा कठिन लगने लगेगा। दूसरी चीज रिवॉर्ड का समय प्रोडक्टिव काम में लगने वाले समय से अधिकतम एक चौथाई से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ये नहीं कि एक घंटा घर की साफ़ सफाई का टास्क पूरा कर आप पूरा दिन टीवी या मोबाइल चलाते रहें।
अगर आप उपरोक्त समस्या में खुद को घिरा पाते हैं और आपको लगता है कि आपके जीवन में मोटिवेशन की कमी है तो अब आप समझ सकते हैं कि समस्या कहाँ पर है। तो जल्द से जल्द खुद पर काम शुरू कीजिये। आप पाएंगे कि वे काम जो कभी आपको बोरिंग लगते थे अब ज्यादा मजेदार हो गए हैं।






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