नवाज़िश




जिंदगी के कच्चे पक्के रास्तों में अक्सर कुछ लोग मिलते हैं ..या फिर लोगों से हम मिलते हैं ...
जो भी हो जब हम एक दूसरे से मिलते हैं ...तो क्या खूब मिलते हैं ....

मैं भी पगली हूँ न...न जाने कैसी -कैसी बाते बनाती हूँ...

हाय !  मैं ..नैना बख्शी ...उम्र 17 साल ...कद 5 फीट 6 इंच ..त्वचा का रंग गोरा और मिजाज से बेहद चुलबुली ...लेकिन उतनी ही खूबसूरत भी ...जो एक बार मेरा जलवा देख ले ..बस फिर मेरे सपनों में बहने लगता है ...राते उजड़ जाती हैं उसकी ...जीना हराम हो जाता है उसका ...

रानीपुर के एक  को.एड बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती हूँ ...वहीं हॉस्टिल में रहती हूँ ...जन्नत है रानीपुर ..पहाड़ों के बीच में आराम से कभी कोहरे तो कभी धूप की चादर बिछाए हुए एक छोटा सा शहर ....जहाँ बादल इतने नीचे लगते हैं कि उन्हें उचक कर छूने का दिल करता है ..आर्मी बेस होने की वजह से यहाँ न कोई पॉल्यूशन है और न बहुत शोर   ..

मेरे पेरेंट दोनों ब्यूरोक्रेट्स हैं ..मम्मी दिल्ली सचिवालय में और.. पपा ...कोलकाता के एक डिस्ट्रिक्ट में एक  डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट हैं ।


मैं उनकी इकलौती संतान हूँ..लेकिन फिर भी उनके पास मेरे लिए वक्त ही नही था ....शुरू में मुझे भी बड़ा अजीब सा लगता था ..बहुत रोती थी उदास रहती थी ..मेरे मन में उनके लिए हीनभावना जन्म लेने लगी थी ..मैं सोचती थी कि काश मैं पैदा ही नही होती ...

लेकिन फिर मैंने खुद को समझाया कि आज नही तो कल पेरेंट को तो छोड़ना ही है ... क्यूँकि एक लड़की का भाग्य ही यही होता है ।।।

तो मैंने बिंदास जीना सीख लिया ,,, बिंदास बोले तो जिंदगी में सिर्फ एन्जॉय ..रोमेंस और फ़्लर्ट ....
हाँ मैं अपने स्कूल की सबसे बड़ी फ्लर्टी लड़की हूँ ...इतना फ़्लर्ट करती हूँ कि एक बार मेरे फ़्लर्ट के झाँसे में कुणाल अवस्थी भी आ गये ...

साइंस के टीचर थे हमारे और बहुत यंग और डैशिंग भी ...लेकिन मेरे टाइप के नही थे ...इसलिए उनका दिल टूटा और मेरा टोटल इंजॉय हुआ .....

स्कूल के एक से बढ़कर एक हैण्डसम लड़के से मेरा अफेयर था ..लेकिन नैना नाम था मेरा कभी किसी को खुद को टच नही करने दिया ....


मैं मानती हूँ ये सब गलत है लेकिन इस ऐज में सब ऐसा ही करते हैं याल ...

सिर्फ मॉर्निंग में रनिंग के लिए हम स्कूल से बाहर निकलते हैं और मंथ के हर सेकेंड सन्डे को अपनी जरूरत का समान ख़रीदने के लिए रानीपुर मार्केट जाते हैं ...

उस दिन जब हम मॉर्निंग में रनिंग कर रहे थे  तभी -

" ए गर्ल्स .. चेंज योर ट्रेक ..."

मैंने देखा और फिर मैं देखती ही रह गई ...एक बहुत ही हैंडसम मैन आर्मी यूनिफॉर्म में मेरे सामने खड़ा था ....मेरी नजर उसके चेहरे से ही नही हट रही थी ...

चेहरे से नजर फिसलकर उसकी छाती पर गई तो पता चला उसका नाम ... अमित पारखी था ।
" ए गर्ल्स सुना नही आपने ... ट्रेक डाइवर्ट कीजिये यहाँ आर्मी मॉक ड्रिल रिहर्सल  चल रही है "
मैं नींद से जागी तभी मेरी फ्रेंड शायरा बोली -

" ए..नैना ...नैना ..चल "


फिर मैंने शायरा को आँख मारी और वो मुझे खा जाने वाली आँखों से देखकर ..नो ..नो का इशारा करने लगी ...लेकिन मेरे जहन में फ़्लर्ट दौड़ चुका था -

" प्लीज.. सअअ..र ...प्लीज जाने दीजिये न...प्लीज "

मेरी और अमित की आँखें मिली ..मैंने उसे शोखी से देखा ..और वो फिर एकदम से चमक कर बोला -

" रस्ता बदल दे लड़की ..वरना अभी इज्जत से बोल रहा हूँ ...वरना वो पेड़ देख रही है न..वहीं उल्टा टाँग दूँगा .. भाषण देने के मूड में नही हूँ ..लेकिन इतना कहूँगा ..देश पहले ..बाकि सब बाद में ..अब चल निकल ले यहां से "

इतनी इंसल्ट लाईफ में मेरी कभी नही हुई थी .. मेरी दोस्त मुझपर मुँह फाड़-फाड़ के हँसने लगी ...पूरे स्कूल में ये बात फैल गई ...

और मैं अपने कमरे के एक कोने में शायरा की गोद में सर रखकर ..आँसू बहाकर बस यही सोच रही थी कि कैसे उस फौजी से अपनी इंसल्ट का बदला लूँ ...

जब कोई भी रास्ता नजर नही आया तो शायरा ने मुझे समझाया -

" नैना हर मर्द एक सा नही होता ..कुछ ऐसे मर्द भी हैं दुनिया में जिनपर हुश्न का कोई जादू नही चलता बल्कि उल्टा जादू करने वाली जादुगरनियों पर उनका जादू चल जाता है ...छोड़ न यार ..इट वाज जस्ट ए स्टुपिड इंसिडेंट....."


शायरा ने लाख समझाने की कोशिश की मुझे लेकिन मैंने उस फौजी की इंसल्ट करने की ठान ली थी ...
और अगले दिन क्लास में जब मैं यही सोच रही थी ...तभी गोलियों के चलने की आवाजें आई -

 स्कूल में  टेररिस्ट्स अटैक हो गया था ...टेररिस्ट्स कंटीन्यू गोलियां चला रहे थे ..हम अपनी क्लास में  टेबल कुर्सी के नीचे छिप गये ...और कुछ ही घण्टों में हम उन चार टेररिस्ट्स के बंदी बन चुके थे ....उन्होंने  सारे स्टूडेंट्स ..टीचर्स एंड स्टाफ को एक बड़े हॉल में बंदी बना लिया और इंडियन गवर्मेंट से डिमांड की वो हमको तभी छोड़ेंगे जब इंडियन गवर्मेंट उनके ऑर्गनाइजेशन मेम्बर्स को रिहा करे ....
24 घण्टे हो चुके थे हमें बंधी बने हुए  ...हमारा बुरा हाल था ..डर के मारे सबकी कांप छूट रही थी ...तभी एक गाड़ी की आवाज सुनाई दी ...और फिर हॉल का डोर ओपन हुआ ..

" मैं अमित पारखी लेफ्टिनेंट ऑफ इंडियन आर्मी ...इंडियन गवरमेन्ट ने मुझे चुना है मीडिएटर  के तौर पर ...सरकार का कहना है कि उन्हें आपकी शर्त मंजूर है लेकिन पहले आप लोगों को इन सब को रिहा करना पड़ेगा "

" क्याया बे ..चूतिया समझा है हमको ..हम इन्हें छोड़ दें और मारे जायें .."

" आप मेरी पूरी बात नही सुने ..मेरे कहने का मतलब इनमें स्टूडेंट्स और उन लोगों को आप रिहा कर दीजिए जिनकी ऐज ज्यादा है और जो बीमार हैं..."

टेरिस्ट्स मान गये ...और उन्होंने वैसा ही किया ...लेकिन जब आखरी में ..मैं शायरा और नीलू बाहर निकले ...तो उन्होंने हमें रोक दिया ...

" नही फौजी ये तीन लड़कियाँ यहीं रहेंगी ... कुछ स्टूडेंस्ट्स भी होने चाहिए  ताकि तुम्हारी सरकार थोड़ा जल्दी - जल्दी हाथ चलाये "

हम तीनों लड़कियाँ डर के मारे काँपने लगी ...और तभी मेरी नजरें अमित पर गई ...उसने मुझे आँखों से रिलेक्स होने का इशारा किया ...और पीछे हटने को बोला -

हमने उसकी बात फॉलो की ...और फिर जो हुआ वो सब फिल्मी सीन जैसा था ...अमित ने न जाने कहाँ -कहाँ से क्या -क्या निकाला और मारा कि चारों के चारों टेरिस्ट्स चित हो गये .....


मन किया जाकर उस हीरो को गले लगा लूँ ...उसको किस कर लूं ...सब अमित के लिए क्लेप कर रहे थे ...और उसको कोई फर्क ही नही पड़ रहा रहा था ...

मैं उसके पास गई और ....

" थैंक्स अमित सर ...आज आप नही होते तो ..."

" मैं नही होता तो कोई और होता ..क्यूँकि इंडियन आर्मी में एक अमित नही अनगिनत अमित हैं ...आप सभी अब बाहर निकलिये हमको ये हॉल सीज करना है "

अमित ने वायरलैस मोबाईल पर बात की और फिर आर्मी की गाड़ियों की कॉन्वोई आ गई ...

मैं बास्केट बॉल कॉर्नर में खड़े-खड़े उस हीरो को देख रही थी जिससे मुझे प्यार हो गया था ...

शायरा ठीक कह रही थी कि कुछ मर्द ऐसे भी होते हैं जिनपर हुश्न का जादू नही चलता बल्कि उल्टा जादू करने वाले उनके जादू में उलझ जाते हैं....

मैंने उसी पल ठान लिया कि अफरातफरी खत्म होते ही मैं अमित को सबके सामने प्रपोज कर दूँगी ...वो मना करेगा तब भी उसको कन्विंस करुंगी ...उसको पाना ही अब मेरा जुनून है ...

लेकिन अमित ने मेरे फ़्लर्ट का घमंड चकनाचूर कर दिया था ...मेरी खूबसूरती और शोखी को भी उसने दुत्कार कर आईना दिखा दिया था ...मेरी अदाओं का अभिमान मेरे सामने ऐसा टूट रहा था जैसे कोई सुहागन से विधवा हुई दुल्हन  की चूड़ियाँ ...

जब माहौल कुछ शांत हुआ तो ... तो मैंने अपने कदम आगे बढ़ाएं अमित सामने खड़ा था ...उसने एक बार भी मेरी तरफ नजर उठा के नही देखा ..लेकिन मेरी नजरें और कदम उसकी और बढ़ते जा थे ....

वक्त जैसे रुक सा गया था ....मेरी सहेलियों की खुसर-पुशर मेरे कानों से टकराकर गिरने लगी थीं ...जमीन जैसे सिमटती जा रही थी ...हवाएं  ठिठरने लगी थी ...हल्की -हल्की बूँदे बादलों के  होंठों से फिसलने लगी थी ...मेरे और मेरी मुहब्बत के बीच सिर्फ 10 कदमों की दूरी थी ...कि तभी एक कार ने मेरे और अमित के बीच ब्रेक मारा ...और कार से उतरी एक लड़की ...


जो मुझसे कई गुना हँसीन और शोखी वाली थी ...वो कार से उतरते ही अमित के गले लग गई ...और ...

" ओह्ह अमित ओह्ह ..तुम ठीक हो जान ही निकाल दी थी तुमने ...ओह्ह माय लव ........."

शायद वो अमित की बीवी या प्रेमिका थी ..लेकिन अमित उसकी बाहों के घेरे में था और तभी मेरी और अमित की नजर आपस में टकराई ....और अमित ने मुस्कुराह के मेरी तरफ विक्ट्री साइन बनाया ...और न जाने कैसे मेरी आँखों के बहते आँसू मुस्कुराहट में बिखर गए ...

मैंने भी एक खूबसूरत सी स्माइल अमित को दी ....अमित ने उस लड़की को बाँहों में भर लिया और मेरी तरफ देखकर हौले से मुस्कुराहकर बोला -  " नवाज़िश "

Written by Junaid Pathan

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